एक बीघा खेत, छोटा सा परिवार
कर्ज पिछले साल का लिए,
हैरान परेशान किसान से पूछो
कानून का क्या होना है।
बिहार का किसान बारिश में बाढ़ से लुटा,
पश्चिम का किसान बारिश के
इंतजार में बैठा,
उनसे पूछो जरा नए बिल का विरोध
कैसे होना चाहिए।
जरा पूछो बिल कैसा होना चाहिए।
बेटी के ब्याह के लिए खेत बेचते किसान को
रिहाना और ग्रेटा क्या समझेंगे।
क्या समझेंगे उनके पसीने की कीमत
हम जैसे लोग, जो एसी कमरे में,
ऑनलाइन ऑर्डर से सारा काम चला लेते हैं।
कानून तो पढ़ा नहीं, गांव की शक्ल देखी नहीं
पर लेफ्ट राइट करते करते राय जरूर रखते हैं।
आज वास्तविकता से दूर सभी बस मोहरे हैं,
चाल किसी और की पर हारता कोई और है।
(भ्रमर)
शिव महिमा
तुम्ही हो ब्रह्मा, तुम्ही हो विष्णु,
तुम्ही तो निर्बीज महादेव हो।
राजोगुन भी हो, तमोगुणी भी,
शुक्लवर्णी सत्वगुणी तुम्ही हो।
तुम्ही सृजन, संहार तुम्ही से,
सृष्टि तुम्हारी, प्रजा तुम्हीं से।
रिक, यजू औ सामवेद तुम्ही से,
वेद तुम्ही हो, योग तुम्ही से।
ब्रह्मरूप, आनंदस्वरुप,
तुम त्यागरूप, कल्याणरूप हो।
सिद्ध हो तुम, सर्वज्ञ तुम्ही हो,
मोक्षरूप रूद्रदेव तुम्ही हो।
गुरु तुम्हीं हो, पिता तुम्ही हो,
अर्धनारीश्वर, मात तुम्ही हो।
अ - कार, उ - कार, म- कार तुम्ही हो,
ओंकारमूर्त, प्रणव तुम्हीं हो।
श्वेत हंस रूप ब्रह्मा को,
वराह रूप वृहद विष्णु को,
ओंकार नाद से, लिंगरूप में,
ज्ञान दिया जो, महेश्वर तुम्ही हो।
हिमलिंग तुम, ऊर्ध्वलिंग तुम,
व्योम व्याप्त शिवलिंग तुम्ही हो।
आदि तुम्ही से, अंत तुम्ही से,
देवाधिदेव आदिदेव तुम्ही हो।
🙏🙏
होना न होना
मेरे होने ना होने से क्या किसे फर्क पड़ जाएगा,
कुछ समय याद करेंगे सब, फिर सब धूमिल पड़ जाएगा।
मैं आया क्या था लेकर, कुछ संबंधों की डोरी तो,
समय ने फिर कुछ जोड़ दिए पर राख में सब मिल जाएगा।
किसको मैंने अपना माना, किससे मेरा नाता टूटा,
इस पर क्या रोना धोना है सब यहीं खत्म हो जाएगा।
स्वर्ग यहीं है, नर्क यहीं पर, कर्मो का हिसाब यहीं होगा,
मैं लाख जतन चाहे कर लूं, जो होना है हो जाएगा।
बात कहूं दिल की जो अगर, चाहा मैंने अच्छा ही है,
यश - अपयश का सोचा तो नहीं, जो होगा देखा जायेगा।
मेरे जाने पर रोना मत, हंस लेना थोड़ा ज्यादा भले,
रोने धोने से भ्रमर भला वापस थोड़े ही आयेगा।
सच कहता हूं, सब मिथ्या है, जीवन सारा ये झूठा है,
एक मौत ही है सच् घटना है, समय से जो हो जाएगा।
ये समय से ही होना होगा, जो गया ना वापस आयेगा,
जो गया ना वापस आयेगा।।।।
-------- (भ्रमर)
जेठ (व्यंग्य)
बड़े हो गए उम्र से, बाल हो गए सफेद।
दिल तो तिल जैसे बडो, माने खुद को जेठ।।
सबको भला बुरा कहें, ज्ञान देत हैं पेल।
कोई जब आइना दिखाए, मुंह लेवे तब फेर।।
हम कहें सब साच हैं, हमको हक़ है सारा।
तुम छोटे, कुछ हक़ नहीं, जों है सब है म्हारा।।
जेठ हुए, सब हक़ मिले, उसका कोई ना अंत।
छोटे बस चुप चाप रहें, बड़ भले बोले अनंत।।
यादें हमारी तुम्हारी
वो लम्हे जाने कहां गए,
जब आंखो में सपने होते थे।
आंखों में खुमारी होती थी,
हर पहर सुनहरे होते थे।
जब दिल भी हमारा जिन्दा था,
धड़कन में सरगम बजती थी।
करवट करवट, सिलवट सिलवट,
यादों की गवाही देते थे।
सारी दुनिया जब सोती थी,
हम भोर तलक जागे रहते।
कुछ बात तुम्हारी होती थी,
बस याद तुम्हारी होती थी।
सोचा था वक्त भी थम जाए,
हम ख्वाब वही जीते जाएं।
पर कहां गए सपने सारे,
अब कहां गई बातें सारी।
हम दुनियादारी में व्यस्त हुए,
तुम ख्वाब दफ़न करने हो लगे।
अब कहां हमीं हम ही हैं बचे,
अब कहां हमारी बात रही।
जाने क्यों ऐसा लगता है,
हम हम ना रहे , तुम तुम ना रहे।
-(भ्रमर)
उधार सी जिंदगी
जिंदगी उधार सी क्यों लगती है, जी लिए, अब बस चुकाने में लगे हैं। -(भ्रमर)
प्रदुषण
कभी भोर की, शाम की, कुहरे वाली ठंड होती थी।
अब कुहरे से भरी दुपहरी भी है,
अफसोस ठंड नहीं,धूल भरी होती है।
-(भ्रमर)
अधूरी नज्म
अधूरी नज्म, अनकही गज़ल सी जिंदगी ,
अब कहें किससे , सुनाए किसको।
-(भ्रमर)
सीसे के घर
घरों में इंट नहीं, सीसे के दीवार हैं बनने लगे,
रिश्तों में भी नज़ाकत है बढ़ी,
जल्दी से बिखरने वो लगे।
-(भ्रमर)
रूठना मनाना
अब किसी के पास मनाने का वक्त कहां,
पर रूठ हर बात पर सब जाते हैं।
जज़्बात सिमट गए हैं जमाने के,
शिकायतें भर के हैं, वही उगल दिए जाते हैं।
कोई क्या सोचेगा, अब ये भी लिहाज़ कहां,
मैं के आगे, सब लोग झुके जाते हैं।
-(भ्रमर)